मुगलिया सल्तनत (Mughalia Sultanate) में एक ऐसा बादशाह (King) भी हुआ जिसे मुगल तख्त अपनी बेगम की वजह से मिला। अगर बेगम न होती तो शायद ये शहजादा (prince) कभी बादशाह बनने का ख्वाब नहीं देख पाता. ये उस दौर की बात है जब तख्त के लिए अपनों का खून बहाना शहजादों का शगल बन गया था। जहांगीर (Jahangir) से इसकी शुरुआत हुई थी. इसे आगे बढ़ाया खुर्रम (Khurram) ने. वही खुर्रम जिसे हम और आम शाहजहां के तौर पर जानते हैं. खुर्रम ही वो शहजादा था जिसे अपनी बेगम की वजह से बादशाह की गद्दी मिली थी.
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